पीएम मोदी ने आंदोलनकारी किसान नेताओं को आमंत्रित किया, किसान नेताओं बोले- हम बातचीत को हैं तैयार, तारीख तय करें सरकार

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नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध में हजारों की संख्या में दिल्ली सीमाओं के पास आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने केन्द्र सरकार से कहा कि वे बातचीत के अगले दौर की तारीख तय करें. पीएम मोदी की तरफ से उनसे सोमवार को राज्यसभा से आंदोलन समाप्त करने की अपील करने और वार्ता के लिए निमंत्रण देने के बाद किसान संगठनों ने यह बात बोली. बहरहाल, किसान संगठनों ने राज्यसभा में पीएम मोदी की टिप्पणी पर आपत्ति की है कि देश में आंदोलनकारियों की नई ‘‘नस्ल’’ उभरी है जिसे ‘‘आंदोलन जीवी’’ कहा जाता है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका है. संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य किसान नेता शिव कुमार काका ने कहा कि वे अगले दौर की वार्ता के लिए तैयार हैं और सरकार को बैठक की तारीख और समय बताना चाहिए. काका ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘हमने सरकार से वार्ता से कभी इंकार नहीं किया. जब भी सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया, हमने केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की. हम उनसे (सरकार) वार्ता के लिए तैयार हैं.’’ विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध बना हुआ है क्योंकि किसान संगठन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर अडिग हैं. जबकि पिछले दौर की वार्ता में सरकार ने कानूनों को 12 से 18 महीने तक निलंबित रखने की पेशकश की थी लेकिन किसान संगठनों ने इसे खारिज कर दिया. राज्यसभा में राष्ट्रपति के संबोधन पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने किसानों को आश्वासन दिया कि मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं एमएसपी जारी है और जारी रहेगा.’’ पीएम मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘उन्हें (आंदोलनकारियों को) आंदोलन वापस लेना चाहिए और हम मिल बैठकर समाधान निकालेंगे और वार्ता के दरवाजे खुले हुए हैं. इस सदन से मैं उन्हें वार्ता के लिए फिर आमंत्रित करता हूं.’’ किसान नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सरकार पहले भी ‘‘सैकड़ों बार’’ कह चुकी है कि एमएसपी जारी है और जारी रहेगा. वही कोहाड़ ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘अगर सरकार दावा करती है कि एमएसपी जारी रहेगा तो फिर वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रही है.’’ उन्होंने कहा कि किसान संगठन वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन औपचारिक निमंत्रण मिलना चाहिए. किसान नेता ने कहा, ‘‘किसी भी मुद्दे का समाधान उचित वार्ता से किया जा सकता है. हम बातचीत करने के लिए सिद्धांत तौर पर तैयार हैं.’’

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