भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे पर राजनाथ सिंह ने कहा भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध

Spread the news

भारत और चीन के साथ लंबे समय से चल रही सीमा विवाद पर केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में गुरुवार को कहा कि भारत एकतरफा और अक्रामकता की स्थिति में अपनी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत शांतिपूर्ण तरीके से पड़ोसी देश के साथ मतभेदों को समाप्त करना चाहता है. बता दें कि भारत और चीन के बीच मई से ही पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव जारी है. गुरुवार को एक सैन्य संगोष्ठि को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हम बातचीत के माध्यम से मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देते हैं. भारत सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए चीन के साथ किए विभिन्न समझौतों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि भारत एक शांति प्रिय देश है, हमारा मानना है कि मतभेदों को विवादों का रूप नहीं लेना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि युद्ध रोकने की क्षमता के माध्यम से ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है; हमने क्षमता निर्माण कर इस संबंध में प्रयास किया है. वहीं आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए राजनाथ ने कहा कि पाकिस्तान अब भी आतंकवाद का इस्तेमाल राजकीय नीति के रूप में करने पर अड़ा है. बता दें कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच लगातार सैन्य और कुटनीतिक स्तर की वार्ता जारी है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच जारी तनाव के दौरान दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आठवें दौर की वार्ता कल यानी छह नवंबर को चुशुल में होगी. पूर्व में हुईं सात दौर की वार्ताओं में टकराव के बिन्दुओं का हल निकालने पर सहमति तो बनी, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन अब तक नहीं हुआ. सेना के सूत्रों ने छह नवंबर को आठवें दौर की बैठक होने की पुष्टि की है. बैठक में एलएसी पर जारी तनाव का हल निकलने की उम्मीद है. दोनों देश तनाव कम करने के लिए मई से पहले की स्थिति बहाल करने समेत अन्य मुद्दों पर सहमत हैं, लेकिन इस पर अमल में देरी हो रही है. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व 14वीं कार्प के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन करेंगे. उन्होंने हाल में इस कार्प का नेतृत्व संभाला है. बैठक में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मौजूद रहने की भी संभावना है. सातवें दौर की बैठक पिछले महीने 12 अक्टूबर को चुशूल में की गई थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *