नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन और उसके नेताओं के खिलाफ रुख सख्त कर लिया है. ट्रैक्टर रैली की इजाजत लेने के लिए एनओसी पर साइन करने वाले सभी किसान नेताओं के खिलाफ बुधवार को एफआईआर दर्ज कर ली गईं. जिन किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं, उनमें- राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, वीएम सिंह, विजेंदर सिंह, हरपाल सिंह, विनोद कुमार, दर्शन पाल, राजेंद्र सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह, जगतार बाजवा, जोगिंदर सिंह उगराहां के नाम शामिल हैं. कल की घटना पर केंद्र सरकार का शुरुआती आकलन है कि ट्रैक्टर रैली में शामिल चरमपंथी लेफ्ट संगठनों के लोगों ने जानबूझकर तय की गई शर्तों का उल्लंघन किया. पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, जिन लोगों ने पहले से हिंसा की प्लानिंग की थी उनकी और उनक संगठन की पहचान कर ली गई है. इस अधिकारी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान नेता भी इसमें शामिल हैं. वही एक अधिकारी ने कहा, “किसान नेताओं ने अंडरटेकिंग दी थी कि वे तय रूट पर ही रैली निकालेंगे और वे लोग रैली का नेतृत्व करेंगे. पुलिस के साथ साइन हुए समझौते में यह भी तय हुआ था कि रैली में कोई भी हथियार लेकर नहीं आएगा, जबकि करीब-करीब सभी प्रदर्शनकारियों के हाथों में लाठियां, रॉड या तलवारें थीं. इसके अलावा रैली के लिए तय समय का भी पालन नहीं किया गया और ट्रैक्टरों का इस्तेमाल बैरिकेड्स हटाने के लिए किया गया. ये सब पूरी तरह से समझौते का उल्लंघन था.” जबकि सीसीटीवी फुटेज और अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त वीडियो के विश्लेषण से यह पता चला है कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल सभी संगठनों के लोग लाल किले पर निशान साहिब फहराने में शामिल थे. एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इसलिए हिंसा की घटनाओं से किसान नेता यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं कि कुछ असामाजिक तत्वों ने ट्रैक्टर रैली में घुसपैठ करके ऐसा किया. इंटेलिजेंस ब्यूरो और दिल्ली पुलिस, दोनों का आकलन है कि ट्रैक्टर रैली में 15-22% लोग ऐसे थे जिनका किसान आंदोलन के साथ कोई संबंध नहीं था.एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बताया है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के लोग प्रदर्शन में शामिल थे और हिंसा के दौरान भी ये साथ थे. हिंसा करने वालों में सतनाम सिंह पन्नू की किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की पहचान खास तौर पर हुई है. एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इसके लोग पहले दिन से अड़े थे कि आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. हालंकि, संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि किसान मजदूर संघर्ष कमेटी उसके मोर्चा का हिस्सा नहीं बताया जा रहा है.