लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने झारखंड विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए एक कमरा आवंटित होने और समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इरफान सोलंककी द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी इसके वास्ते ऐसे ही ‘प्रार्थना कक्ष’ की मांग करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह तुष्टिकरण की ‘घटिया राजनीति’ है और यह बंद होनी चाहिए. मौर्य ने कहा कि इस प्रकार के निर्णय का कोई औचित्य नहीं है. विधानसभा हो या लोकसभा हो या कोई भी सरकारी स्थान हो तो वहां इस प्रकार की व्यवस्था होनी नहीं चाहिए. कहीं अगर ऐसा किया गया है तो उसे सही नहीं माना जा सकता है. झारखंड की तरह उत्तर प्रदेश की विधानसभा में नमाज के लिए अलग कक्ष बनाए जाने पर मौर्य ने कहा कि निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश में इसकी कोई संभावना नही है. सपा विधायक की मांग के सवाल पर मौर्या ने कहा कि ”यह तुष्टिकरण की घटिया राजनीति है और इस तरह की राजनीति करने का काम बंद होना चाहिए. इससे न देश को, न प्रदेश को और न ही जनता को कुछ हासिल होने वाला है.” कानपुर में सीसामऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक इरफ़ान सोलंकी ने मंगलवार को कहा था, “मैं पिछले 15 सालों से विधायक हूं. कई बार जब विधानसभा की कार्यवाही चल रही होती है तो हम मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए विधानसभा से बाहर जाना पड़ता है. अगर विधानसभा में नमाज के लिये एक छोटा प्रार्थना कक्ष हो तो हमें सदन की कार्यवाही नहीं छोड़नी पड़ेगी. कई बार यदि आपको सवाल पूछना हैं और आपका समय आने वाला हैं तभी अज़ान का समय आ जाता है, आप या तो नमाज अदा करें या सवाल पूछें.” सोलंकी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर भी इबादत के लिए जगह होती है. विधानसभा अध्यक्ष इस पर विचार कर सकते हैं और इससे किसी को नुकसान नहीं होगा.” सपा विधायक ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को लिखित में कुछ नहीं दिया है. इस सिलसिले में संपर्क करने पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि ‘इरफान सोलंकी विधानसभा के आदरणीय सदस्य हैं लेकिन हमारे घर या हमारे कार्यालय के पास उनका इस सिलसिले में कोई पत्र या अनुरोध नहीं मिला है. हम हर आवेदन पर नियम संगत निर्णय लेते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनका आवेदन आएगा तो आप विधानसभा में नमाज के लिए कक्ष आवंटित करेंगे, दीक्षित ने कहा कि ‘अधिकारियों के साथ विमर्श करके नियम संगत फैसला करेंगे और अगर जरूरत हुई तो इस मामले में वरिष्ठजनों से परामर्श करेंगे.’