नीतीश और पासवान में तकराव जारी, क्या विधानसभा चुनाव लड़ेगी एक साथ या अलग होगा रास्ता

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लोक जनशक्ति पार्टी अपने बिहार के नेताओं के साथ सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक कर रही है जिसमें यह तय किया जाएगा कि आगामी राज्य विधानसभा चुनाव जद(यू) के खिलाफ लड़ा जाए या नहीं. हाल के समय में बिहार में सत्ताधारी NDA के दोनों घटक दलों में रिश्ते बिगड़ते नजर आ रहा हैं. बैठक से पहले ही एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने जद(यू) अध्यक्ष और बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर फिर निशाना साधते हुए कहा कि मारे गए अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों के परिजन को सरकारी नौकरी देने का उनका फैसला “और कुछ नहीं, बल्कि चुनाव संबंधी घोषणा” है. चिराग ने सीएम नीतीश को एक पत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों से पूर्व में किये गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया. इन वादों में उन्हें तीन डिसमिल जमीन दिये जाने का भी जिक्र था. एलजेपी अध्यक्ष ने कहा, “नीतीश कुमार की सरकार अगर गंभीर थी”, तो समुदाय के उन सभी लोगों के परिवार के एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिए थी, जो उनके 15 साल के शासन के दौरान मारे गए.’’ बीते कुछ महीनों से एक-दूसरे पर निशाना साध रही JDU-LJP. राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाले जनता दल (यूनाइटेड) बीते कुछ महीनों से एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. नीतीश के पूर्व मुख्यमंत्री और दलित नेता जीतन राम मांझी से हाथ मिलाने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में खटास और बढ़ गई है. मांझी एलजेपी पर निशाना साधते रहे हैं. वहीं चिराग JDU पर निशाना साधने का काम करते है, किन्तु भाजपा पर निशाना साधने से बचते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते रहते हैं. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की पार्टी की कमान अब उनके बेटे चिराग पासवान संभाल रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि पार्टी के पास एक विकल्प यह है कि वह केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA का हिस्सा बने रहे लेकिन राज्य में उससे अलग होकर चुनाव लड़े जबकि भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार न उतारे. इससे पहले एलजेपी फरवरी 2005 में हुए बिहार विधानसभा के चुनावों में राजद के खिलाफ चुनाव लड़ी थी जबकि दोनों क्षेत्रीय दल केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का हिस्सा थे. एलजेपी ने कांग्रेस से अपना गठबंधन बरकरार रखते हुए राजद के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे. इसकी वजह से राज्य में किसी को भी बहुमत नहीं मिला जिससे लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद का 15 साल का शासन बिहार में गामाना पड़ा और कुछ महीनों बाद एक अन्य विधानसभा चुनाव हुआ जिसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जेडीयू और भाजपा गठबंधन बहुमत के साथ सत्ता में आया. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत तमाम पार्टी नेता NDA के तीनों घटकों के साथ मिलकर आगामी चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं. सूत्रों के माने तो असहजता का भाव आ रहा है क्योंकि नीतीश कुमार राजद के नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश करके और मांझी से गठजोड़ कर अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं. जेडीयू ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह एलजेपी के साथ सीटों की साझेदारी को लेकर कोई बात नहीं करेगी क्योंकि उसके संबंध परंपरागत रूप से भाजपा के साथ हैं. निर्वाचन आयोग के जल्द ही बिहार विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने की उम्मीद है. बिहार में कुल विधानसभा 243 सीटे है. अक्टूबर-नवंबर में इलेक्शन होने की सम्भावना जतायी जा रही है.

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