नये कृषि कानून को लेकर किसान संगठनों-सरकार के बीच 9वें दौर की की बातचीत बेनतीजा निकला, अगले दौर की बातचीत 19 जनवरी को

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नई दिल्ली: तीन नये कृषि कानून को लेकर एक महीने से अधिक समय से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत भी आज बेनतीजा निकली. दोनों पक्षों के बीच गतिरोध बरकरार है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन किसान संगठनों ने इस समिति को सरकार समर्थक बताया है और साफ कहा है कि वे सरकार से तो बारबार चर्चा को तैयार हैं लेकिन समिति के समक्ष नहीं जाएगा. किसानों का कहना है कि समिति के सदस्‍य पहले ही सरकार के कृषि कानूनों के पक्ष में राय दे चुके हैं. इस बीच समिति के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने समिति से अपने को अलग कर लिया है. आज की बातचीत के बारे में बात करते हुए ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के अध्यक्ष बालकरण सिंह बरार ने मीडिया से कहा, इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाई.सरकार अपनी बात पर अड़ी हुई है कि तीनों कानून रद्द नहीं होंगे. हमने सरकार को सुझाव दिया कि इस एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में जो संशोधन सरकार ने किए हैं, उन्हें सरकार वापस ले ले. पूरे कानून को रद्द करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इस पर कृषि मंत्री ने कोई आश्वासन नहीं दिया. अब अगली बैठक 19 जनवरी को विज्ञान भवन में होगी. 26 जनवरी के दिन हमारी ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी अगले 2 दिन में हम ट्रैक्टर रैली की रूट और अपने विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा फाइनल कर लेंगे, इसमें कुछ छुपा हुआ नहीं है. बरार ने कहा कि 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम को हम जल्‍द ही सार्वजनिक करेंगे. वही पंजाब के किसान नेता दर्शनपाल ने मीडिया को बताया, नौवें दौर की बातचीत 120 परसेंट विफल रही इसका कोई नतीजा नहीं निकला. हमने सरकार से कहा कि वह इस एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में जो संशोधन किए गए हैं, उन संशोधनों को कानून से हटाए और पुराने कानून को बहाल करें, लेकिन इस पर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया और आगे बात नहीं की. उन्‍होंने जोर देकर कहा कि 26 जनवरी को हमारी ट्रैक्टर वाली रैली जरूर होगी. किसान संगठनों का साफ कहना है कि हम मध्‍यस्‍थ (ब्रोकर्स) नहीं चाहते, हम सीधे सरकार के साथ बातचीत चाहते हैं. यही नहीं, उन्‍होंने सरकार से किसानों का समर्थन करने वालों के पीछे केंद्रीय एजेंसी लगाने से भी ‘बाज आने’ को कहा है. शुक्रवार की बातचीत के बारे में किसान एकता मोर्चा की ओर से एक वीडियो फेसबुक पर शेयर किया गया है, इसमें किसानों के प्रति‍निधि अभिमन्‍यु ने बताया, ‘बैठक के दौरान हमने आंदोलरत किसानों की मदद करने वाले ट्रांसपोटर्स भाई और अन्‍य किसान साथियों को सरकार की एजेंसियों-एनआईए आदि की ओर से नोटिस भेजे जाने का मुद्दा उठाया. हमने पूछा कि आंदोलनरत किसानों की मदद करने वालों को परेशान करने की कोशिश सरकार क्‍यों कर रही है? ‘ अभिमन्‍यु के अनुसार, ‘इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले, एनआईए सरकार से अलग स्‍वतंत्र एजेंसी है तो हमने कहा कि इसी समय नोटिस क्‍यों दे रहे हैं. अभिमन्‍यु ने कहा कि कृषि कानूनों लेकर कृषि मंत्री बोले कि कानूनों को अब सस्‍पेंड कर दिया है, हमने कहा, रिपील और सस्‍पेंड में फर्क हो रहा है, यदि सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार हुई तो इसका मतलब है उसमें खामी है. अभिमन्‍यु के अनुसार, ‘बैठक में हमने कहा कि सरकार हमें राजनीतिक विरोधी न माने, हमने कोई चुनाव नहीं लड़ा और न ही लड़ने वाले हैं.

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