किसानों ने दिल्ली गाजियाबाद रोड किया बंद, एनएच-9 के सभी लेन को घेरा

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नई दिल्ली: हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमाओं पर केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करे रहे किसानों ने कड़ाके की ठंड के बीच सोमवार सुबह एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी. किसान नेताओं के अनुसार प्रदर्शन कर रहे किसान अलग-अलग समूहों में भूख-हड़ताल करेंगे और पहले समूह में 11 लोग होंगे. दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसानों का आंदोलन दिल्ली और एनसीआर के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. किसानों ने रविवार को ही आंदोलन तेज करने की बात कही थी. सोमवार को किसानों ने दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली सड़क बंद कर दी. इसके बंद होते ही पुलिस प्रशासन के मुश्किलें बढ़ गई हैं. बताया जा रहा है कि एनएच- 9 के सभी लेनों पर किसानों ने घेर लिया है. अगर यह नहीं खुलता तो दिल्ली से लौटने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. महाराजपुर बॉर्डर पहले से पुलिस वालों ने ही बंद कर रखा है. फिलहाल आनंद विहार की तरफ से गाजियाबाद आने के लिए लोगों को महाराजपुर के बदले आगे कौशाम्बी के रास्ते आने दिया जाता है. वही स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने सिंघू बॉर्डर पर रविवार को कहा था, ”सोमवार को किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे. इसकी शुरुआत सिंघू बॉर्डर समेत यहां प्रदर्शन स्थलों पर 11 सदस्यों का एक दल करेगा. उन्होंने कहा कहा था कि हम देशभर में सभी प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद सभी लोगों से इसमें भाग लेने की अपील करते हैं.
प्रदर्शन के मद्देनजर कई मार्ग बंद हैं और दिल्ली यातायात पुलिस लोगों को बंद और खुले मार्गों की समय-समय पर जानकारी दे रही है.पुलिस ने बताया कि मुकरबा तथा जीटीके रोड से यातायात परिवर्तित किया गया है, इसलिए लोग आउटर रिंग रोड, जीटीके रोड और एनएच-44 पर जाने से भी बचें. साथ ही कहा कि हरियाणा जाने के लिए झाड़ोदा (वन सिंगल कैरिजवे), दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन/ बजघेड़ा, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर खुले हैं. दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट किया, ” टिकरी, ढांसा बॉर्डर भी यातायात के लिए बंद हैं. झटीकरा बॉर्डर केवल एक या दो-पहिया वाहन और राहगिरों के लिए खुला है. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार जहां तीनों कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.

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