मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके 15 विधायकों की अयोग्यता को लेकर आज सुप्रीम र्फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को ना नुकसान है और ना ही फायदा मिला. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट के गोगवले को चीफ व्हिप नहीं बनाना असंवैधानिक था. कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि खुद को असली पार्टी कहकर अयोग्ता से नहीं बच सकते. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 16 विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर फैसला लें. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का शिंदे सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा गोगावाले को नियुक्त करने का फैसला असंवैधानिक
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा शिंदे के बयान का संज्ञान लेने पर स्पीकर ने व्हिप कौन था इसकी पहचान करने का उपक्रम नहीं किया और उन्हें जांच करनी चाहिए थी. गोगावाले को मुख्य सचेतक नियुक्त करने का निर्णय असंवैधानिक था क्योंकि व्हिप केवल विधायी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया जा सकता है. CJI ने कहा कि किसी पार्टी में चल रहे मतभेद के आधार पर गवर्नर फ़ैसला नहीं ले सकते. गवर्नर उस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.
उद्धव ठाकरे को नहीं कर सकते बहाल
अदालत ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना ही नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्णय भारत के संविधान के अनुसार नहीं था. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया. सीजेआई ने कहा उद्धव ने अगर इस्तीफा नहीं दिया होता तो उन्हें सीएम बहाल किये जाते.शिंदे सरकार चलती रहेगी.