नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इंडिया से भागे हुए विजय माल्या द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. माल्या ने सर्वोच्च न्यालय के मई 2017 के आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. अदालत ने उन्हें अपने बच्चों के खाते में 40 मिलियन अमरीकी डॉलर ट्रांसफर करते हुए कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का दोषी पाया था. बता दें कि शराब कारोबारी और बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाए हैं. वे 2 मार्च, 2016 को भारत छोड़कर ब्रिटेन चला गया था.भारतीय एजेंसियों ने यूके की कोर्ट से विजय माल्या के प्रत्यर्पण की अपील की और लंबी लड़ाई के बाद यूके के न्यालय ने 14 मई को माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अपील पर मुहर लगा दी. यूके कोर्ट के नए आदेश का माल्या लोन रिकवरी केस पर पड़ सकता है असर विजय माल्या के ऊपर हाईकोर्ट ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स की तरफ से दिए गए एक फैसले का असर पड़ सकता है. 22 मिलियन डॉलर की वसूली के मामले में पंजाब नेशनल बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा के पक्ष में इंग्लैंड और वेल्स हाईकोर्ट के एक फैसले ने व्यवसायी विजय माल्या के खिलाफ भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम द्वारा यूके में चल रही ऋण वसूली बोली में एक मिसाल कायम की थी. पीएनबी मामले में 2012 से 2013 के बीच के दो ऋण शामिल हैं, जिनमें भारत के सुपीरियर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के व्यवसायी प्रदीप अग्रवाल शामिल हैं. क्रूज़ लाइनर, एमवी डेल्फिन को खरीदने और संचालित करने के लिए लोन के बकाए का भुगतान नहीं चुकाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े विजय माल्या की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
