राहुल गांधी ने मोदी सरकार को लिया निशाने पर कहा- तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई?

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार को निशाना बनाया है. कोरोना वायरस पर नियंत्रण करने के लिए 25 मार्च से सम्पूर्ण भारत में लागू किए गए 68 दिनों के लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई? इसका आंकड़ा मोदी सरकार के पास नहीं है. इसे लेकर फिर से राहुल गांधी ने हमला बोलते हुए मोदी सरकार से पूछा कि सरकार ने अगर प्रवासियों के मौत का रिकॉर्ड नहीं रखा तो क्या मौतें नहीं हुईं? मंगलवार सुबह राहुल ने एक ट्वीट के जरिये मोदी सरकार से सवाल किया, ‘मोदी सरकार नहीं जानती कि लॉकडाउन में कितने प्रवासी मज़दूर मरे और कितनी नौकरियां गईं. तुमने ना गिना तो क्या मौत ना हुई? हां मगर दुख है सरकार पे असर ना हुई, उनका मरना देखा ज़माने ने, एक मोदी सरकार है जिसे खबर ना हुई.

14 सितम्बर को मॉनसून सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार ने संसद को बताया है कि प्रवासी मजदूरों के मौत का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. लॉकडाउन की वजह से लाखों मजदूरों ने शहरों से गांवों की ओर पलायन किया था, जिनमें से कई की मौत रास्ते में अलग-अलग वजहों से हो गई थी.
दरअसल, लोकसभा में सवाल किया गया था कि क्या सरकार इससे अवगत है कि घरों को लौटते हुए कई मजदूरों की रास्ते में मौत हो गई और क्या राज्यवार मृतकों की संख्या उपलब्ध है? यह भी पूछा गया कि क्या पीड़ितों को सरकार ने कोई मुआवजा या आर्थिक सहायता दी?
लॉकडाउन में मारे गए कितने प्रवासी मजदूर? मोदी सरकार ने संसद में कहा- पता नहीं, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इसके जवाब में कहा कि मृतकों की संख्या को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि चूंकि इस तरह का डेटा नहीं जुटाया गया था इसलिए पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवजे का सवाल नहीं उठता. एक अन्य सवाल प्रवासी श्रमिकों को हुई परेशानी का अनुमान लगाने में सरकार की विफलता को लेकर पूछा गया था. इस साल मॉनसून सत्र 18 दिनों का है 14 सितम्बर को शुरू हुई है 1 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा.

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