भारत-चीन युद्ध की नौबत आई तो अमेरिका भारत का साथ दे सकता है

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भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति सामान्य नहीं है. दोनों देश के सैनिकों के बीच बीते कुछ समय में तनाव काफी बढ़ा हुआ है. झड़प की खबरें भी आती रहती हैं पीएम मोदी भी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किला से दिए अपने भाषण में बिना लिए चीन को संदेश दे चुके हैं कि विस्तारवाद की उसकी नीति अब नहीं चलने वाली है. इतना ही नहीं, भारत के साथ-साथ अमेरिका जैसे ताकतवर देशों को भी चीन ने अपना दुश्मन बना लिया है. दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों के बीच गतिरोध साफ देखी जा सकती है. ऐसे में अगर चीन, भारत के साथ युद्ध में जाने की कोशिश करता है तो उसे भारी नुकसान उठानी पड़ सकती है. विस्तारवाद की नीति ने चीन को बनाया कई देशों का दुश्मन. चीन अपनी विस्तारवाद नीति के कारण अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों का दुश्मन बन चुका है. ऐसी परिस्थिति में अगर युद्ध छेड़ता है तो इस बात की संभावना है कि भारत को इन देशों का समर्थन मिल सकता है. पीएम मोदी की नई विदेश नीति के कारण इन देशों के साथ भारत के हालिया संबंध प्रगाढ़ हुए हैं. 1962 से बदल चुके हैं हालात, आगे बढ़ चुका है भारत. चीनी सैनिक और वहां के सत्तारूढ़ नेता अक्सर 1962 की लड़ाई का जिक्र करते हैं, लेकिन अब पड़ोसी देश को समझना होगा कि परिस्थिति काफी हद तक बदल चुकी है. भारत ने अपने रक्षा बजट पर भारी-भरकम खर्च किए हैं. फ्रांस के साथ राफेल की डील हुई है तो इजरायल से भी बड़े पैमाने पर आधुनिक हथियार की खरीद की गई है. ऐसे रक्षा समझौतों से भारतीय सेना को काफी बल मिला है. यही वजह है कि 2017 में डोकलाम में चीनी सेना को अपने कदम वापस खींचने पड़े थे. इतना ही नहीं, गालवान घाटी में भी भारतीय जवानों ने चीन के 40 से अधिक सैनिकों को मार गिराया. हालांकि इस झड़प में भारत के भी 20 सैनिक शहीद हो गये. दक्षिणी पैंगोंग तट से भारतीय सेना ने PLA को खदेड़ा. पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर 29 अगस्त की रात हुई चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने के साथ ही भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाकों को पूरी तरह से चीनी सेना से मुक्त करा चुकी है. इसके साथ ही पैंगोंग झील क्षेत्र में तैनाती बढ़ा दी है. सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अब दक्षिणी छोर वाला हिस्सी पूरी तरह से भारतीय सेना के नियंत्रण में है. सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार, दक्षिणी हिस्सा फिंगर पांच और उसके आसपास तक के इलाके को कवर करता है, जहां कुछ स्थानों पर चीनी सेना की मौजूदगी दी. फिंगर 5 में ऊंचाई वाले स्थानों पर भी चीनी सैनिक डटे हुए थे. लेकिन ताजा झड़प के बाद भारतीय सेना ने न सिर्फ उसे आगे बढ़ने से रोका है बल्कि और पीछे धकेल भी दिया है. संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ अपने घनिष्ठ रक्षा संबंधों को औपचारिक रूप देना चाहता है. चीन के साथ मुकाबला करने के उद्देश्य से भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की तरह ही गठबंधन करना चाहता है.

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