नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1971 में हुए युद्ध को आज 50 साल पूरे हो गए. युद्ध में भारतीय सेना की गौरवशाली जीत के 50 साल पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘विजय दिवस’ के अवसर पर ‘विजय ज्योति यात्रा’ को राजधानी दिल्ली से रवाना भी किया. पीएम मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुआ युद्ध कई मायनों में खास था. इस युद्ध ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और बांग्लादेश नाम के एक नए देश का जन्म हुआ. पाकिस्तान को भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा और भारतीय सेना ने अपे अप्रतीम साहस और शौर्य का दुनिया के सामने लोहा मनावाया. 1971 में पाकिस्तान के साथ चली 13 दिन की लड़ाई के बाद आज के दिन भारतीय सेना ने जीत हासिल की थी. इस जंग में लगभग 3843 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर किए. इस युद्ध की जीत का ही परिणाम था कि पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों ने सरेंडर किया और फिर दुनिया ने इतिहास बनते देखा.
1971 में भारत ने पाकिस्तान को न सिर्फ सबक सिखाया बल्कि बांग्लादेश नाम का एक स्वतंत्र देश बना दिया. इस युद्ध को ‘बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम’ भी कहा जाता है. 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर कर दिया था, और ढाका में पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. आखिर क्यों कहा जाता है इसे ‘विजय दिवस’? इक वन कोर ने 16 दिसंबर 1971 को देश की पश्चिमी सीमा पर बसंतर नदी के किनारे खुले मोर्चे पर पाक सेना को अमेरिका से मिले पैटन टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया था. इसीलिए भारतीय सेना की यह आक्रामक कोर 16 दिसम्बर को ‘विजय दिवस’ के अलावा निजी तौर पर ‘बसंतर दिवस’ के रूप में भी मनाती है.
भारत-पाक युद्ध के 50 साल पूरे होने के अवसर पर नेशनल वॉर मेमोरियल में पीएम मोदी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
