भारत में आजकल ‘लव जिहाद’ को लेकर कानून बनाने की चर्चा चल रही रही है. बीजेपी शासित राज्यों में लव जिहाद कानून अतिशीघ्र आने की प्रकिया काफी तेज हो गई है. मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अगले सत्र में कानून को लेकर बिल लाने की बात भी कही थी तो उत्तर प्रदेश सरकार भी इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद असदुद्दीन ओवौसी ने इसे संविधान की भावना के खिलाफ बता रहे है. ओवैसी ने कहा, ‘इस तरह का कानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ है. स्पेशल मैरिज एक्ट को तब खत्म कर दें. कानून की बात करने से पहले उन्हें संविधान को पढ़ना चाहिए.’ ओवैसी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा युवाओं का ध्यान बेरोजगारी से हटाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है.
उत्तर प्रदेश में भी गृह विभाग ने लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित कानून का मसौदा तैयार कर लिया है. यह मसौदा परीक्षण के लिए विधायी विभाग को भेजा जा चुका है. इसे संभवत: अगली कैबिनेट बैठक में पेश किया जा सकता है. विभाग ने कानून का जो मसौदा तैयार किया है उसमें ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं है. इसे गैर कानूनी धर्मांतरण निरोधक बिल कहा जा रहा है. राजनीतिक चर्चाओं में लव जिहाद कहे जाने वाले मामले को ही गैर कानूनी धर्मांतरण माना जाएगा और ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर पांच से दस साल की सजा का प्रावधान किया जा सकता है. मध्य प्रदेश सरकार के नए कानून (मप्र फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2020) का ड्रॉफ्ट लगभग तैयार हो गया है. इसमें ताजा मामलों के पकड़े जाने पर पांच साल की सजा का प्रावधान तो है ही, लेकिन ऐसे विवाह यदि हो चुके हैं उन्हें रद्द करने का अधिकार भी फैमिली कोर्ट को दिया जा रहा है, लेकिन इसमें किसी सगे-संबंधी को यह पहले शिकायत करनी होगी कि यह प्रकरण और विवाह लव जिहाद से जुड़ा मसला है. इसके बाद अंतिम निर्णय फैमिली कोर्ट करेगा. फैमिली कोर्ट के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी जा सकेगी. बताया जा रहा है कि जल्द ही ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप देकर विधि विभाग को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद सीनियर सैक्रेटरी की कमेटी इस पर चर्चा करेगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. एक्ट के अंदर प्रलोभन, बलपूर्वक, फ्रॉड, बहकावे जैसे शब्दों का भी उल्लेख किया जायेगा.