नई दिल्ली: केंद्र के नये कृषि कानूनों को लेकर खिलाफ हुए किसानों का आंदोलन आज से तेज हो गया है. नवंबर महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डेट हजारों किसान आज एक दिन की भूख हड़ताल कर रहे है और देशभर में धरना दे रहे है. एक हफ्ते के भीतर किसानों का यह दूसरा देशव्यापी प्रदर्शन होगा. इससे पहले, पिछले मंगलवार को किसानों ने ‘भारत बंद’ का आह्वान किया था. विभिन्न राजनीतिक दलों और ट्रेड यूनियनों ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया था. सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बावजूद, किसानों का कहना है कि जब तक नए कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. किसान आंदोलन के बीच किसान संगठनों का कहना है कि प्रदर्शनकारी सोमवार को देशभर में कलेक्ट्रेट कार्यालयों का घेराव करेंगे और सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन जारी है. उन्होंने कहा कि भूख हड़ताल आंदोलन तेज करने के किसानों की योजना का एक हिस्सा है. किसान आंदोलन को लेकर सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह के घर पर बैठक हुई. बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा और गृह सचिव अजय कुमार भल्ला मौजूद रहे. वहीं, कृषि कानून पर कुछ किसान कृषि भवन में एक बजे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि वह भी किसानों के साथ उपवास रखेंगे. उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुहिम में शामिल होने की अपील की है. केजरीवाल ने कहा, “केंद्र को किसानों की सभी मांगें माननी चाहिए और गारंटीड न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर बिल लाना चाहिए.” केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के अपना प्रदर्शन तेज करने के बीच केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कहा कि सरकार जल्द ही एक तारीख तय कर किसान संघ के नेताओं को अगले दौर की वार्ता के लिये बुलाएगी. वही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अरविंद केजरीवाल द्वारा किसानों के समर्थन में सोमवार को उपवास रखने की घोषणा को “नाटक” बताया. सिंह ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 23 नवंबर को कृषि कानूनों में से एक को “बेशर्मी” से अधिसूचित कर किसानों की ‘पीठ में छुरा भोंका है.’
पंजाब के उप महानिरीक्षक (कारागार) लखमिंदर सिंह जाखड़ ने रविवार को कहा कि उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. डीआईजी जाखड़ ने बताया कि उन्होंने शनिवार को अपना इस्तीफा राज्य सरकार को दिया. किसानों के ट्रैक्टर मार्च को देखते हुए रविवार को दिल्ली-जयपुर हाइवे को कुछ देर के लिए बंद किया था. राजस्थान और हरियाणा से किसानों ने दिल्ली की ओर मार्च किया था. मार्च को रोकने के लिए गुड़गांव और फरीदाबाद में चालीस हज़ार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि अब सरकार को ही कुछ करना है किसान को नहीं. जब तक सरकार कृषि कानून वापस नही लेती है, उनका आंदोलन जारी रहेगा.