नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली में होने वाली किसानों की ट्रैक्टर परेड को दिल्ली पुलिस ने अनुमति दे दी है. आज इसकी जानकारी स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने दी है. उन्होंने दावा किया है कि रैली शांतिपूर्ण तरीके से निकाली जाएगी. वहीं, मामले की गंभीरता के मद्देनजर खासी मुस्तैद है. पुलिस ने जवानों से गणतंत्र दिवस पर अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि पुलिस ने तीन रास्तों पर किसानों को रैली निकालने की अनुमति दी. वही मीडिया से बातचीत के दौरान योगेंद्र यादव ने कहा ‘आज दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ छोटी सी मीटिंग थी.’ उन्होंने जानकारी दी ‘हमें पुलिस की तरफ से ट्रैक्टर रैली के लिए औपचारिक अनुमति मिल गई है.’ इसी दौरान उन्होंने कहा ‘जैसा कि मैंने पहले बताया था किसान गणतंत्र परेड 26 जनवरी को शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित होगी.’ सुबह किसानों ने पुलिस को लिखित आवेदन देकर रैली के लिए अनुमति मांगी थी. दिल्ली पुलिस की तरफ से किसानों को 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की अनुमति मिल गई है. इसी बीच दिल्ली पुलिस आयुक्त ने जवानों से चौकस रहने के लिए कहा है. उन्होंने कहा ‘गणतंत्र दिवस परेड की सुरक्षा के लिए तैनात सीएपीएफ और दूसरे बलों के सभी अधिकारियों और जवान तैयार रहेंगे.’ उन्होंने कहा ‘किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में अधिकारियों और जवान तत्काल नोटिस पर कानून और व्यवस्था के लिए तैया रहें.’ जबकि
प्रस्ताव की शुरुआत से ही किसान राजधानी की आउटर रिंग रोड पर रैली निकालने की बात कह रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों के चलते इस मार्ग पर ट्रैक्टर परेड की इजाजत देने से इनकार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक पुलिस और किसानों के बीच आपसी सहमति से जो रूट्स तय हुए हैं…
1.सिंघू बॉर्डर- सिंघू बॉर्डर (Singhu Border) से ट्रैक्टर परेड चलेगी जो संजय गांधी ट्रांसपोर्ट, कंझावला, बवाना, औचन्दी बार्डर होते हुए हरियाणा में चली जाएगी.
- टिकरी बॉर्डर- टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) से ट्रैक्टर परेड नागलोई, नजफगढ़, झड़ौदा, बादली होते हुए केएमपी पर चली जाएगी.
- गाजीपुर-यूपी गेट- गाजीपुर युपी गेट से ट्रैक्टर परेड अप्सरा बार्डर गाजियाबाद होते हुए यूपी के डासना में चली जाएगी.
राजधानी की सीमाओं पर किसान करीब 2 महीनों से नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार और किसानों के बीच मामले को लेकर 10 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन पराली जलाने और सब्सिडी के अलावा किसी बड़े मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी है. सरकार ने किसानों के सामने 1.5 साल के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन किसान लगातार कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.