मुंबई: महाराष्ट्र विधान परिषद की छह सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को करारा झटका लगा है. तीन पार्टियों का गठबंधन (एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना), महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) के सहयोगियों की संयुक्त ताकत का आकलन करने में विफल रही. (एमवीए) ने चार सीटें जीतीं जबकि बीजेपी के खाते में केवल एक सीट आई है और एक सीट पर स्वतंत्र उम्मीदवार है और जीतने की भी संभावना है. राज्य में एक स्थानीय निकाय सीट के साथ इन पांच सीटों के लिए एक दिसंबर को चुनाव हुए थे. महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए इसलिए भी निराशा जनकर रहा है क्योंकि पार्टी ने नागपुर के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भी हाथ धो लिया है. जिसे की दशकों से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस के पिता स्वर्गीय गंगाधरराव फड़नवीस कर चुके हैं. कांग्रेस के अभिजीत वंजारी ने नागपुर के पूर्व महापौर और फड़नवीस के करीबी संदीप जोशी को हराकर सीट जीत ली है जिनके लिए यह एक प्रतिष्ठित चुनाव था. संदीप जोशी दो विधानसभा चुनाव में नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से फडनवीस के लिए मुख्य चुनाव समन्वयक के रूप में काम किया था. जिसके बाद से इस चुनाव में दोनों लोगों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई थी. चुनाव प्रचार के लिए फडनवीस और गडकरी दोनों लोगों ने संदीप जोशी के लिए प्रचार किया था और लगभग एक सप्ताह तक नागपुर में ही डेरा डाले हुए थे. बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी चुनाव परिणाम पर चिंतन करेगी और अगले चुनाव में और बेहतर ढंग से उतरेगी. फडनवीस ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) के सहयोगियों की संयुक्त ताकत का आकलन करने में विफल रही. देवेंद्र फडनवीस ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि शिव सेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पाटीर् की संयुक्त ताकत का आंकलन चुनाव में हम नहीं कर सके. अब हालांकि हम समझ चुके हैं कि तीनो पार्टियां एक साथ मिल कर हमें चुनाव में कितनी बड़ी चुनौती पेश कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि हम अपनी इस हार पर चिंतन करेंगे और साथ ही उम्मीदवारों के चयन पर भी चर्चा करेंगे. इस बार, राज्य प्रशासन ने विधान परिषद के चुनाव के लिए मतदाताओं का पंजीकरण कराया था लेकिन मेरे और नितिन गडकरी के परिवार के कुछ सदस्यों का नाम मतदाता सूची में नहीं था. उन्होंने कहा कि आमतौर पर इस तरह के चुनावों में मतदाता पंजीकरण राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता है, लेकिन इस बार प्रशासन ने जिम्मेदारी ली थी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिव सेना के हैं लेकिन इस चुनाव में शिव सेना पाटीर् का एक ही उम्मीदवार जीत पाया. इस चुनाव में शिव सेना के मुकाबले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस को अधिक फायदा हुआ इसलिए शिव सेना को भी चिंतन करने की जरुरत है.